प्रतिवेदन क्या है
प्रतिवेदन (रिपोर्ट) प्रतिवेदन की परिभाषा और प्रकार--प्रतिवेदन को अंग्रेजी में रिपोर्ट' (Report) या रिपोर्टिंग (Reporting) कहा जाता है।
यह एक लिखित विवरण होता है जिसमें किसी संस्था, दल या विभाग द्वारा किए गए विशेष आयोजन की तथ्यात्मक जानकारी दी जाती है।
इसका उद्देश्य सम्बन्धित व्यक्तियों को संस्था के कार्य, प्रगति, जाँच या परिणाम की जानकारी देना होता है।
प्रतिवेदन के प्रकार-विषय के आधार पर प्रतिवेदन के निम्न भेद (प्रकार) बताए जा सकते हैं-
(i) किसी सभा, गोष्ठी या सम्मेलन का प्रतिवेदन।
(ii) किसी शैक्षिक, धार्मिक या सामाजिक संस्था का मासिक/त्रैमासिक/अर्द्धवार्षिक या वार्षिक प्रतिवेदन।
(iii) व्यवसाय की प्रगति का प्रतिवेदन (व्यावसायिक प्रतिवेदन)।
(iv) जाँच समिति या जाँच आयोग द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन। प्रतिवेदनों की विषय-वस्तु-विषय के अनुसार प्रतिवेदनों की विषय-वस्तु बदलती रहती है।
न इनमें से व्यावसायिक एवं जाँच-समिति द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन विस्तृत एवं तकनीकी होते हैं। प्रत्येक व्यावसायिक कम्पनी हर वर्ष अपनी वित्तीय स्थिति का प्रतिवेदन पुस्तिका के रूप में जारी करती है, जिसमें उसके लाभ-हानि एवं वित्तीय स्थिति का आकलन होता है। इसी प्रकार जाँच-समितियों के प्रतिवेदन भी बहुत बड़े होते हैं। गवाहों के बयान, साक्ष्य, घटना की पृष्ठभूमि, निष्कर्ष एवं संस्तुतियों के रूप में इसे जारी किया जाता है और यह एक पुस्तक का आकार ले लेता है।
विद्यालयों या धार्मिक संस्थाओं के वार्षिक प्रतिवेदन जिनमें संस्था की प्रगति एवं उसके द्वारा प्राप्त उपलब्धियों का उल्लेख होता है, सभी अत्यन्त विस्तृत होते हैं, अत: छात्र-छात्राओं के लिए ये तीनों प्रकार के प्रतिवेदन परीक्षा की दृष्टि से उपयोगी नहीं हैं।
नोट-छात्रों को छोटे-छोटे कार्यक्रमों, बैठकों, गोष्ठियों, सभाओं, सम्मेलनों के प्रतिवेदन ही लिखने होते हैं, अत: इन्हीं के उदाहरण यहाँ प्रस्तुत किए जा रहे हैं।
श्रेष्ठ प्रतिवेदन के गुण-एक श्रेष्ठ प्रतिवेदन के गुण निम्न प्रकार बताए जा सकते हैं-
(i) प्रतिवेदन पूर्णतः स्पष्ट होना चाहिए।
(ii) प्रतिवेदन तथ्यात्मक एवं विश्वसनीय होना चाहिए।
(iii) प्रतिवेदन की भाषा सरल, सहज एवं निर्वैयक्तिक होनी चाहिए, उसमें मैं, हम (प्रथम पुरुष) का प्रयोग नहीं किया जाता।
(iv) प्रतिवेदन में संक्षिप्तता का ध्यान रखना चाहिए। अत: केवल महत्वपूर्ण तथ्यों का समावेश करना चाहिए। (v) तथ्यों को क्रमबद्ध एवं तर्कपूर्ण ढंग से इस प्रकार रखना चाहिए जिससे पूरी जानकारी सुलभ हो जाए। (vi) प्रतिवेदन (Report) का एक उचित शीर्षक भी देना चाहिए।
(vii) प्रतिवेदन की विषय-वस्तु को तथ्यों को दृष्टिगत रखकर अलग-अलग अनुच्छेदों में लिखना चाहिए।
प्रतिवेदन लिखने की विधि-निम्न प्रकार है-
1. प्रतिवेदन लिखने से पूर्व सारे तथ्यों को संकलित कर लेना चाहिए।
2. समय और दिनांक की सही जानकारी प्रतिवेदन में आ जानीचाहिए।
3. कार्यक्रम में मंच पर कौन-कौन विराजमान थे। अध्यक्षता किसने की, कार्यक्रम का संचालन किसने किया, कौन-कौन से वक्ताओं ने क्या-क्या बात कही? आमन्त्रित अतिथियों में कुछ प्रमुख व्यक्तियों के नाम भी देने चाहिए।
4. संस्था की गतिविधियों एवं लिए गए निर्णयों की जानकारी भी रिपोर्टिंग करते समय दें।
5. यदि कार्यक्रम में सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दी गई हों तो उनका विवरण कलाकारों के नाम सहित देना चाहिए।
6. यदि कोई महत्वपूर्ण निर्णय उस कार्यक्रम में लिया गया हो तो उसे भी रिपोर्ट बनाते समय प्रस्तुत करना चाहिए
आपने क्या सिखा
दोस्तों इस पोस्ट में आपने जाना की प्रतिवेदन क्या होता है और इस से जुडी जानकारी आपने इस पोस्ट में जानी हमें उमीद है आपको हमारी ये पोस्ट बहुत अच्छी लगी होगी आपका कोई डाउट हो तो आप हमें निचे कमेंट में पूछ सकते है
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